Mangal Paath
मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरौं नित ध्यान |
हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान |१|
मंगल जिनवर पद नमौं, मंगल अरिहन्त देव |
मंगलकारी सिद्ध पद, सो वन्दौं स्वयमेव |२|
मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय |
सर्व साधु मंगल करो, वन्दौं मन वच काय |३|
मंगल सरस्वती मातका, मंगल जिनवर धर्म |
मंगल मय मंगल करो, हरो असाता कर्म |४|
या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होत |
मंगल नाथूराम यह, भव सागर दृढ़ पोत |५|
श्लोक 1
मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरौं नित ध्यान ।
हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान ॥१॥
हिंदी भावार्थ:
हे परम मंगलमूर्ति भगवान! मैं प्रतिदिन आपके पाँच परमेष्ठी पद (अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु) का ध्यान करता हूँ। आप समस्त संसार के अमंगल को हरकर इस जगत को मंगलमय बनाते हैं।
English Meaning:
O Divine Auspicious Lord! I meditate daily upon the five supreme beings (Arihant, Siddha, Acharya, Upadhyaya, and Sadhu). You remove inauspiciousness from the world and spread peace and positivity everywhere.
श्लोक 2
मंगल जिनवर पद नमौं, मंगल अरिहन्त देव ।
मंगलकारी सिद्ध पद, सो वन्दौं स्वयमेव ॥२॥
हिंदी भावार्थ:
मैं जिनवर (अरिहंत देव) के पद को नमन करता हूँ, जो परम मंगलकारी हैं। सिद्ध पद भी शुद्ध और कल्याणकारी है, उसका भी मैं श्रद्धापूर्वक वंदन करता हूँ।
English Meaning:
I bow to the sacred feet of Arihant Bhagwan, the enlightened souls who show the path of liberation. I also venerate the Siddhas, the liberated beings, who are the ultimate source of eternal peace and auspiciousness.
श्लोक 3
मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय ।
सर्व साधु मंगल करो, वन्दौं मन वच काय ॥३॥
हिंदी भावार्थ:
आचार्य मुनि और उपाध्याय गुरु मंगलमय हैं। सभी साधुजन भी मंगल का स्रोत हैं। मैं उन्हें मन, वचन और शरीर से वंदन करता हूँ।
English Meaning:
The Acharyas (spiritual leaders), Upadhyayas (spiritual teachers), and all Sadhus (monks) are embodiments of auspiciousness. With mind, speech, and body, I bow to these revered saints.
श्लोक 4
मंगल सरस्वती मातका, मंगल जिनवर धर्म ।
मंगल मय मंगल करो, हरो असाता कर्म ॥४॥
हिंदी भावार्थ:
सरस्वती माता का मंगल और जिनधर्म का मंगल, ये सब आत्मा को पवित्र और कल्याणकारी बनाते हैं। इनकी कृपा से हमारे पाप और अशुभ कर्म दूर होते हैं।
English Meaning:
The blessings of Goddess Saraswati (symbol of knowledge) and the sacred Jain Dharma bring true auspiciousness. They help eliminate negative karmas and guide the soul toward purity and liberation.
श्लोक 5
या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होत ।
मंगल नाथूराम यह, भव सागर दृढ़ पोत ॥५॥
हिंदी भावार्थ:
इस मंगल स्तोत्र के पाठ और स्मरण से जगत में निरंतर मंगल होता है। कवि नाथूरामजी द्वारा रचित यह स्तोत्र भवसागर से पार कराने वाली एक मजबूत नौका है।
English Meaning:
Through the recitation of this Manglik Stotra, eternal peace and positivity spread across the world. Composed by poet Nathuram Ji, this hymn is like a strong boat that helps us cross the ocean of worldly existence (Bhavsagar).
महत्व और लाभ | Significance & Benefits
- यह स्तोत्र जैन धर्म में मंगलाचरण स्तोत्र (Manglacharan Stotra) के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।
(The “Mangalmurti Param Pad Stotra” is one of the most revered Manglacharan Prayers in Jainism) - इसका नियमित पाठ करने से मन की शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
(Reciting this stotra brings peace of mind, positive energy, and spiritual purification.) - इसमें पाँच परमेष्ठियों (अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु) का वंदन है, जिन्हें जैन धर्म की नींव माना जाता है।
(It venerates the Five Supreme Beings (Arihant, Siddha, Acharya, Upadhyaya, and Sadhu), considered the foundation of Jain Dharma.) - जैन भक्त इस स्तोत्र का उपयोग आरती, पूजा, स्वाध्याय, मंगल अवसरों और शुभ कार्यों की शुरुआत में करते हैं।
(Jain devotees recite it during Aarti, Pooja, spiritual gatherings, and auspicious beginnings.) - यह स्तोत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर करता है और पाप कर्मों का क्षय करता है।
(This prayer guides one towards the path of liberation and helps in eliminating negative karmas.)