Grand Farewell for 1008 Pilgrims with Shobhayatra and Sammed Shikharji Ceremony
फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज द्वारा 13 सितंबर से प्रारंभ हुई 7 दिवसीय सम्मेद शिखरजी यात्रा 20 सितंबर को जयकारों के साथ सम्पन्न हुई। यात्रा के अंतिम दिन शुभमति माताजी के मांगलिक संसंघ सान्निध्य में रथयात्रा मध्यलोक से प्रारंभ होकर निहारिका कॉम्प्लेक्स तक गई और फिर गाजे-बाजे के साथ मध्यलोक लौट आई। रथ यात्रा में शामिल सभी भक्त पुरुष श्वेत धोती और दुपट्टे में थे, जबकि महिलाएं पीली साड़ी पहने हुए थीं। रथ यात्रा में भक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा था, भक्त “हर साल शिखरजी में मेरी एक हाजरी हो, मुझे वही रोक लेना, जब सांस आखिरी हो” गीत गाकर भाव विभोर हो झूम रहे थे।
फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज के संस्थापक एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजीत कोठिया ने बताया कि शोभा यात्रा के बाद दिन में गणिनी आर्यिका माताजी शुभमति माताजी के मांगलिक सान्निध्य एवं 5 आचार्यों की उपस्थिति में भव्य सम्मेद शिखरजी विधान का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने 71 अर्घ्य समर्पित किए।
रात्रि में फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विपिन गांधी, महामंत्री महेन्द्र बंडी, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र चांपावत सहित अन्य सदस्यों ने सभी संयोजकों, सह संयोजकों, भामाशाहों, दानदाताओं, रेलवे आरक्षण में सहयोगकर्ताओं, भोजन व्यवस्था के कार्यकर्ताओं और प्रचार प्रसार में सहयोगी भाई-बहनों को मोमेंटो, माल्यार्पण और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
विपिन गांधी ने इस यात्रा को फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज के इतिहास में मील का पत्थर बताते हुए अगली बार 5000 यात्रियों को सम्मेद शिखरजी लाने की भावना व्यक्त की। सम्मान समारोह का संचालन महेंद्र बंडी, कौशल्या पतंग्या, अजीत कोठिया और महावीर कोटड़िया ने किया, जबकि आभार ज्ञापन राष्ट्रीय महामंत्री महेन्द्र बंडी ने किया।
सभी यात्रियों को ईसरी पार्श्वनाथ स्टेशन से राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और शेष भारत स्थित गंतव्य स्थलों के लिए रजत मयी विदाई दी गई। यात्रा के दौरान सभी 1008 यात्रियों ने तीर्थराज सम्मेद शिखरजी के सभी 20 टोंको की वंदना की, पहाड़ की परिक्रमा की और धनबाद, गिरिडीह, ईसरी, निमियाघाट के जैन मंदिरों के दर्शनों का लाभ लिया।
यात्रा संयोजकों विजय तलाटी, राजकुमार बंडी सहित सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने सभी समाजजनों और यात्रियों का इस विशाल एवं गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सम्मिलित यात्रा को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया.
Source: Jain Gazette