जल फल सकल मिलाय मनोहर, मनवचतन हुलसाय । तुम पद पूजौं प्रीति लाय के, जय जय त्रिभुवनराय ।। मेरी अरज सुनीजे, पुष्पदन्त जिनराय, मेरी अरज सनीजे ।। ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदन्त जिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये-अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।13। पंचकल्याणक अर्घ्य नवमी फागुन वदी सुहाई, गर्भ कल्याण भयो सुखदाई । सेवे मात देवि सुखकारी, पूजूं जिनवर मंगलकारी ॥ ॐ […]